Sunday 18 October 2015

हम आदत से मजबूर हैं?

यहाँ झारखण्ड की राजधानी रांची में वर्षों से बस स्टैंड बन रही है।  मेरे देखते हुए ही तीन वर्ष हो गये हैं।  अभी भी बन ही रही है न जाने कब तक बनेगी उसी के चलते उस बस अड्डे की बसें सड़क के किनारे खड़ी रहती हैं। सड़क के किनारे खड़े रहने के कारण अक्सर जाम लगा हुआ रहता है।  

फिर एक दिन सवेरे सवेरे मोर्निंग वाक के लिए निकला तो देखा की उस बस अड्डे से सटे हुए सड़क फिर से बन रही है. जबकि यह सड़क बिलकुल ठीक ठाक है. उस सड़क पर एक दुक्का गड्ढे छोड़ कर खरोंच तक नही हैं।

आप कहेंगे गड्ढे तो थे, इसीलिए बन रही होगी. ये बात भी सही है जहाँ गड्ढे हों तो वहां सड़क बननी ही चाहिए। लेकिन जिस सड़क को अभी मरम्मत की जरुरत है नही तो वो सड़क क्यूँ बने?

बेकार के सड़क निर्माण से सरकार को आर्थिक हानि तो होती ही है साथ ही साथ समय की भी हानि होती है. खासकर जहाँ सड़क में बहुत गड्ढे हों सड़क निर्माण कार्य वहीँ करनी चाहिए. यहाँ बहुत से ऐसे सड़क हैं जहाँ मरम्मत की जरुरत साथ चोड़ीकरण की भी जरुरत है, वहां उस निर्माण कार्य को करनी चाहिए।

और पता चला है की कुछ दिनों में मुख्यमंत्री उस बस अड्डे का उदघाटन करने वाले हैं इसीलिए उस सड़क का निर्माण जोरों पर है.

इस बार हमने बहुमत सरकार दी है ,देखते है ये सरकार हमारी इच्छाओं में कितनी खरी उतरती हैं. हम भारतीय हैं हम कहीं भी एडजस्ट कर सकते हैं, और आदत से मजबूर भी.

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