जब चुनाव होती है तो जनता राजा बन जाती है वो भी नाम मात्र का।जैसे ही चुुुनाव खत्म हो जाती है। जनता को कोई नहीं पुुछता।ऐसे में यदि जनता किसी नेता को जिस पार्टी के माध्यम से चुनती है और चुनने के बाद यदि वो नेता पैसे के प्रलोभन में चुनाव के बाद अन्य किसी और पार्टी के साथ जाता है तो तत्तकाल उसकी सदस्यता रद्द कर देनी चाहिए क्योंंकि यह जनता के वोटों का अपमान है।